क्या आप जानते हैं पाकिस्तान के लोग किस दिन उड़ाते हैं पतंग?

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Kite Flying Pakistan: पाकिस्तान में पतंगबाजी भारत से बेहद अलग अंदाज में सेलिब्रेट की जाती है. इसके पीछे काफी दिलचस्प कहानी है. लाहौर से लेकर कारांची तक पूरे पाकिस्तान में पतंगबाजी होती है. भारत में जिस तरह मकर संक्रांति के दिन देशभर में पतंगबाजी होती है, ठीक वैसे पाकिस्तान में नहीं सेलिब्रेट किया जाता है. पाकिस्तान में पतंगबाजी जिस दिन सेलिब्रेट की जाती है. उसकी कहानी नफरत से भरी है. आज हम भारत के पड़ोसी देश के पतंगबाजी से जुड़े ऐसे किस्से सुनाने जा रहे हैं, जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे. 

इस नाम से होता है सेलिब्रेट

यूनेस्को में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में लोग पतंगबाज़ी फेस्टिवल को बहुत धूमधाम से मनाते हैं. यह उत्सव वसंत ऋतु में मनाया जाता है. इसलिए वहां के लोग इसे वसंत काईट फेस्टिवल भी कहते हैं. वसंत ऋतु में प्रकृति की सुंदरता इस त्योहार में चार चांद लगा देती है, यह मौसम की शुरुआत का उत्सव है जिसे आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाकर मनाया जाता है. पतंगें अलग-अलग आकार की होती हैं, उनमें से कुछ में विशेष संदेश भी होते हैं जो अल्लाह के लिए लिखे होते हैं.

लोग पतंग पर अपनी इच्छाएं, प्रार्थनाएं और अपने भगवान के प्रति श्रद्धा भाव भी लिखते हैं और उसे आसमान में ऊंचा उड़ाते हैं. बसंत पतंगबाजी का त्योहार वास्तव में एक हिंदू त्योहार है जिसे पंजाब प्रांत के लोगों ने मनाना शुरू किया, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए यह त्योहार देश के लोगों के बीच आम हो गया और अब यह एक ऐसा त्योहार है जिसे देश हर साल मनाता है.

नफरत से भरी है ये कहानी

पाकिस्तान में मनाई जाने वाली पतंगबाजी का एक किस्सा नफरत से भरा हुआ है. कहा जाता है कि लाहौर के रहने वाले एक हिंदू बालक वीर हकीकत के दिए जवाब से मिली मौत की सजा के याद में वहां पतंगबाजी होती है. एक समय की बात है, जब लाहौर में कुछ बच्चे एक मौलवी के यहां पढ़ते थे. उसमें से कुछ हिंदू और कुछ मुसलमान थे. बच्चों में किसी बात को लेकर बहस हो गई, जिसके बाद मुस्लिम लड़के ने हिंदू देवी-देवता पर कुछ अभद्र टिप्पणी कर दी, जिसपर वहां मौजदू वीर हकीकत नाम के एक बालक ने कहा कि अगर मैं बीवी फातिमा के बारे में कुछ कहूं तो तुम्हें कैसा लगेगा?

इस बात की शिकायत मुस्लिम बच्चों ने मौलवी के आने पर की. जिसके बाद मौलवी ने फरमान जारी कर दिया कि उस हिंदू बालक को या तो मुस्लिम धर्म स्वीकार करने को कहा जाए या फिर उसे मौत की सजा दे दी जाए. वीर हकीकत ने मौत को गले लगा लिया, लेकिन अपना धर्म नहीं बदला. पाकिस्तान में लोग उस बच्चे की याद में पतंगबाजी करते हैं.

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