क्या है तीन लैंग्वेज फॉर्मूला? अगर ये स्कूलों में लागू हो गया तो किस तरह होगी पढ़ाई

1 min read

[ad_1]

What is three language formula and how it is implemented: थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला की अगर बात करें तो ये टर्म नया नहीं है. बहुत साल पहले बनी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इस तरीके से स्कूलों में पढ़ाई करवाने की बात कही गई थी. इसमें समय के साथ कुछ बदलाव आए पर साल 2020 में आयी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और उसके इम्प्लीमेंटशन की जब बात आयी तो ये टर्म फिर से चर्चा में आया है.

जानते हैं क्या है थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला

साल 1968 में आयी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में कहा गया कि स्कूलों में पढ़ाने के लिए थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला का इस्तेमाल होना चाहिए. इसमें ये बोला गया कि हिंदी और इंग्लिश के अलावा एक तीसरी भाषा होनी चाहिए जोकि मॉर्डन इंडिया की भाषा हो और जिसका इस्तेमाल स्कूलों में शिक्षा देने के लिए किया जाए. ये हिंदी स्पीकिंग स्टेट्स में लागू किया जाना चाहिए.

जिन राज्यों में हिंदी प्राइमरी लैंग्वेज नहीं है वहां रीजनल लैंग्वेज और इंग्लिश के अलावा हिंदी का इस्तेमाल होना चाहिए. ये फॉर्मूला कोठारी कमीशन द्वारा अल्टर किया गया ताकि रीजनल भाषाओं को जगह मिल सके. हालांकि इस समय भी हिंदी और इंग्लिश ही मुख्य भाषाएं रही.

एनईपी 2020 ने क्या कहा

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी ने कहा कि थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला के इम्प्लीमेंटेशन में फ्लेक्सिबिलिटी होनी चाहिए. ज्यादातर राज्य अपनी रीजनल लैंग्वेज को बढ़ावा देना चाहते हैं लेकिन ये ध्यान रखने के लिए कहा गया कि दो मुख्य भाषाएं भारतीय भाषाएं ही रहे तो ठीक है. एनईपी में इंग्लिश पर बहुत जोर देने की बात नहीं कही गई.

क्या होगा अगर स्कूलों में हुआ लागू

अगर ये फॉर्मूला स्कूलों में लागू होता है तो हो स्टेट अपने यहां की रीजनल लैंग्वेज और जो भाषा प्रचलन में है उसके हिसाब से फैसला लेंगे. कई जगहों पर हिंदी किनारे हो सकती है क्योंकि वहां के लोगों को हिंदी समझ नहीं आती. ऐसे में इंग्लिश और रीजनल लैंग्वेज को बढ़ावा मिल सकता है. हालांकि ये इस पर निर्भर करेगा कि कौन सा राज्य इस बारे में क्या फैसला लेता है.

वेस्ट बंगाल में हो रही है शुरुआत

वेस्ट बंगाल स्टेट एजुकेशन पॉलिसी लेकर आया है. इसमें क्लास 5 से लेकर 8 तक थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला पर जोर दिया गया है. इसमें बंगाली भाषा को सबस ज्यादा महत्व देने की योजना बनायी जा रही है.  कमेटी बंग्ला को विषय के तौर पर लॉन्च करने की भी योजना बना रही है. साथ ही क्लास 1 से लेकर 10 तक ये इंस्ट्रक्शन की भाषा यानी पढ़ाने की भाषा भी बन सकती है. वेस्ट बंगाल की एजुकेशन पॉलिसी एनईपी से काफी हद तक मेल नहीं खाती.

यहां योजना बन रही है कि मीडियम उस क्षेत्र की रीजनल लैंग्वेज होनी चाहिए. जैसे नेपाली मीडियम स्कूल है तो नेपाली में पढ़ाई हो, संथाली स्कूल है तो संथाली मीडियम में पढ़ाई हो, राजवंशी मीडियम है तो इसमें पढ़ाई हो आदि. 

यह भी पढ़ें: रेलवे से लेकर PSSSB तक, यहां है सरकारी नौकरियों की भरमार 

Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI

[ad_2]

Source link

You May Also Like

More From Author