जिस इंटरनेट से आप अपना टास्क चंद सेकेंड में कर लेते हैं कंप्लीट, जानें वह कैसे करता है काम

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Internet Work: इंटरनेट आज के समय में दुनिया में सबसे फेमस वर्ड में से एक बन गया है. कुछ भी जानना है, किसी को कोई जानकारी देनी है, नहीं पता है तो हम तुरंत इंटरनेट का सहारा लेते हैं और सटीक जानकारी प्रोवाइड करा देते है. यह सब कैसे हुआ और इसकी शुरुआत कैसे हुई? यह कैसे काम करता है आज जानेंगे. यह 1969 में एक एकेडमी रिसर्च परियोजना के रूप में शुरू हुआ और 1990 के दशक में एक वैश्विक कमर्शियल नेटवर्क बन गया. आज दुनिया भर में 2 अरब से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. बता दें कि कोई व्यक्ति या देश इंटरनेट का मालिक नहीं है या इसे वह नियंत्रित नहीं करता कि इससे कौन जुड़ सकता है. इसके बजाय, हजारों अलग-अलग संगठन अपने स्वयं के नेटवर्क संचालित करते हैं और प्राइवेट इंटरकनेक्शन समझौतों पर बातचीत करते हैं. तथा सर्विस प्रदान करते हैं.

इंटरनेट कैसे बनाया गया?

इंटरनेट की शुरुआत ARPANET के रूप में हुई, एक एकेडमी रिसर्च नेटवर्क जिसे सेना की एडवांस रिसर्च परियोजना एजेंसी (ARPA, अब DARPA) द्वारा वित्त पोषित किया गया था. इस परियोजना का नेतृत्व ARPA प्रशासक बॉब टेलर ने किया था और नेटवर्क का निर्माण बोल्ट, बेरानेक और न्यूमैन की परामर्श फर्म द्वारा किया गया था. इसका परिचालन 1969 में शुरू हुआ. 1973 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर विंट सेर्फ़ और बॉब काह्न ने ARPANET के लिए नेक्स्ट जेनेरेशन के नेटवर्किंग मानकों पर काम शुरू किया. ये मानक जिन्हें टीसीपी/आईपी के नाम से जाना जाता है, मॉडर्न इंटरनेट की नींव बने. 1 जनवरी 1983 को ARPANET ने TCP/IP का उपयोग करना शुरू कर दिया.

इंटरनेट कौन चलाता है?

कोई इंटरनेट नहीं चलाता. इसे डिसेंट्रलाइज नेटवर्क के रूप में तैयार किया गया है. हजारों कंपनियां, सरकारें और अन्य संस्थाएं अपने स्वयं के नेटवर्क संचालित करती हैं. इंटरनेट के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) नामक संगठन की होती है. इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) को कभी-कभी इंटरनेट प्रशासन के लिए जिम्मेदार बताया जाता है, लेकिन आईसीएएनएन यह नियंत्रित नहीं करता कि इंटरनेट से कौन जुड़ सकता है या इस पर किस प्रकार की जानकारी भेजी जा सकती है.

वायरलेस इंटरनेट कैसे काम करता है?

पहले इंटरनेट का उपयोग सिर्फ केबलों के माध्यम से किया जाता था, लेकिन हाल ही में वायरलेस इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से आम हो गया है. वायरलेस इंटरनेट एक्सेस के दो प्रकार हैं- वाईफाई और सेल्युलर. वाईफाई नेटवर्क आसान हैं. घर या बिजनेस में इंटरनेट पहुंच प्रदान करने के लिए कोई भी व्यक्ति वाईफाई नेटवर्किंग डिवाइस खरीद सकता है. वाईफाई नेटवर्क बिना लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम का उपयोग करते हैं, जबकि सिम कार्ड की मदद से सेल्यूलर नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है. अगर हम इसके काम करने की तरीके की बात करें तो इंटरनेट के लिए एक सर्वर रूम होता है, जहां इंफॉर्मेशन स्टोर किया जाता है. यह हर समय काम करता है, जो आपस में ऑप्टिकल फाइबर केबल द्वारा आपस में जुड़े होते हैं. टेलिकॉम कंपनिया यूजर्स को इसकी सर्विस प्रदान करने के लिए सेटेलाइट का इस्तेमाल करती है. भारत में एयरटेल, जियो और वीआई टॉप टेलिकॉम कंपनियां हैं. 8 लाख किलोमीटर लंबे केबल सिर्फ समुद्र में बिछाए गए हैं, जो हमारे इस्तेमाल का लगभग 90% है. इसकी 24 घंटे निगरानी होती है. 

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