टॉस जीतने से लेकर शमी की स्विंग तक, इन पांच फैक्टर ने सेमीफाइनल में दिलाई टीम इंडिया को फतह

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IND vs NZ: टीम इंडिया वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में पहुंच गई है. सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को पटखनी देकर उसने यह टिकट हासिल किया है. बुधवार रात को भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को 70 रन से हराया. टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 397 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया, जवाब में न्यूजीलैंड की टीम 327 रन ही बना सकी. भारत की इस खास जीत में कौन-कौन से फैक्टर अहम रहे? यहां जानें…

टॉस जीतना: मैच की पहली लड़ाई ही भारत के पक्ष में गई. रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनते ही कीवियों को मनोबल तोड़ दिया था. दरअसल, वानखेड़े स्टेडियम में इस बार डे-नाइट मैचों में ‘टॉस जीतो मैच जीतो’ वाला फॉर्मुला ही काम कर रहा है. यहां दोपहर में बल्लेबाजों को खूब मदद मिलती है और रात में दूसरी पारी के शुरुआती 20 ओवर तेज गेंदबाजों को जोरदार स्विंग मिलती है. यही कारण है कि यहां पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम बड़ा स्कोर बनाती है और दूसरी पारी में टीमें शुरुआती 20 ओवर में ही घुटने टेक देती है. हालांकि न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने यहां बेहद सूझबूझ भरी बल्लेबाजी करते हुए मैच को काफी लंबा खींच डाला.

रोहित शर्मा की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी: क्रिकेट में ओपनिंग हमेशा से बेहद महत्वपूर्ण होती है. अगर कोई टीम तेजी से शुरुआती 50 रन बना लेती है तो उसका मोमेंटम सेट हो जाता है. रोहित शर्मा इस पूरे वर्ल्ड कप में यही करते आ रहे हैं. सेमीफाइनल में भी उन्होंने 29 गेंद पर ताबड़तोड़ 47 रन जड़ टीम को ऐसी लय दी जो आखिरी तक बरकरार रही. उन्होंने शुरुआत में ही कीवी गेंदबाजों के हौसले तोड़ दिए.

भारतीय बल्लेबाजों ने नहीं गिरने दिया रन-रेट: रोहित का विकेट गिरने के बाद शुभमन और विराट ने मैच को धीमा नहीं किया. वह लगातार रन निकालते रहे. बाद में श्रेयस और केएल ने भी ताबड़तोड़ पारियां ही खेली. पूरी पारी में भारत ने अपना रन-रेट 7 से नीचे नहीं आने दिया. इससे न्यूजीलैंड के गेंदबाजों पर तनाव पूरे वक्त बना रहा और उनकी लाइन-लेंथ ठीक नहीं हो पाई.

ओस का न गिरना: इसे भारत की जीत का सबसे बड़ा बाहरी फैक्टर माना जा सकता है. आमतौर पर इन दिनों वानखेड़े में अच्छी ओस गिरती है, जिसके चलते दूसरी पारी में बल्लेबाजी आसान हो जाती है. यह भारतीय टीम की किस्मत ही थी कि सेमीफाइनल में कायनता उसके साथ थी और ओस फैक्टर कारगर नहीं रहा. ओस न गिरने से न्यूजीलैंड के लिए 398 का टारगेट मुश्किल होता गया.

दबाव में नहीं बिखरे भारतीय गेंदबाज: मैच में दो मौके ऐसे आए जब न्यूजीलैंड का पलड़ा भारी लगने लगा था. स्टेडियम में भारतीय फैंस शांत हो गए थे. भारतीय खिलाड़ियों के चेहरों पर भी तनाव दिखने लगा था लेकिन इस तनाव को उन्होंने अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. गेंदबाजों ने अपनी लाइन लेंथ नहीं छोड़ी और लगातार अच्छी गेंदबाजी करते रहे. यही कारण रहा कि टीम इंडिया आखिरी में कीवियों पर फतह हासिल करने में कामयाब रही.

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