स्कूल में हो रही हो Bullying तो ऐसे निपटें, ये हैं आपके अधिकार

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How to deal with school bullying: कई बार बच्चे बिना बात के स्कूल जाने से डरते हैं, रोज कोई न कोई बहाना बनाते हैं. कारण पूछने पर कोई ठीक जवाब नहीं मिलता. अगर आपके बच्चे में भी ऐसे लक्ष्ण दिखें तो सावधान हो जाएं और पता करें कि कहीं वो स्कूल में बुलिंग का शिकार तो नहीं. बच्चे सामान्यत: बुलिंग की शिकायत इसलिए भी नहीं करते की कहीं बात और न बढ़ जाए और उन्हें और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़े.

कितनी तरह की होती है बुलिंग

बुलिंग के बहुत से प्रकार होते हैं. ये फिजिकल हो सकती है, मेंटल हो सकती है, साइकोलॉजिकल हो सकती है और कई बार बच्चे साइबरबुलिंग का भी शिकार होते हैं. उदाहरण के तौर पर किसी बच्चे को उसके सीनियर या क्लासमेट द्वारा बिना बात के परेशान करना. कुछ एग्जाम्पल लेते हैं –

  • बार-बार बच्चे के लुक या किसी आदत या पढ़ाई या किसी भी चीज को लेकर उसका मजाक बनाना या सबके सामने चिढ़ाना.
  • हल्की-फुल्की और कई बार गंभीर मारपीट करना और धमकी देना.
  • अपने पर्सनल काम करवाना जैसे पानी भरवाना, किताब मंगाना, होमवर्क करवाना, प्रोजेक्ट बनवाना, किसी का टिफिन रोज खा लेना, उससे घर से सामान या पैसे लाने की डिमांड करना वगैरह.
  • क्लास में बैठने की जगह न देना, बस में खड़ा रखना, किसी गेम या एक्टिविटी में उसे शामिल न करना, टीचर्स से गलत शिकायत करना, मजाक बनाना.
  • किसी भी रूप में अगर बच्चे को हैरेस किया जा रहा है तो ये बुलिंग में आता है.

स्कूल की है जिम्मेदारी

इस केस में पहली जिम्मेदारी स्कूल की होती है. यहां एंटी रैगिंग कमेटी होनी चाहिए जो इस बात का ध्यान रखें कि किसी बच्चे को अनावश्यक परेशान न किया जाए. टीचर्स और संबंधित अथॉरिटी को विजिलेंट और सपोर्टिव होना चाहिए. वातावरण ऐसा हो कि बच्चा शिकायत करने आए तो उसका नाम छिपाकर एक्शन लिया जाए.

क्या कहता है कानून

बुलिंग को लेकर हमारे देश में कानून नहीं हैं लेकिन गंभीर मामलों में आईपीसी की कुछ धाराओं के तहत शिकयत की जा सकती है. शिकायत होने पर पुलिस से लेकर बाकी अथॉरिटीज को एक्शन लेना पड़ता है. ये धाराएं हैं धारा 339 – गलत तरीके से रोकना, धारा 506 – आपराधिक धमकी के लिए सजा, धारा 323 – स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा, धारा 306 – आत्महत्या के लिए उकसाना.

हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं

बुलिंग की शिकायत अगर आप स्कूल स्तर पर नहीं करना चाहते तो बहुत सी हेल्पलाइन हैं जिनसे आप मदद मांग सकते हैं. ये फ्री में काउंसलिंग से लेकर मदद तक के लिए तैयार होती हैं. इन्हें नेट पर सर्च किया जा सकता है. भारत में एंटी रैगिंग हेल्पलाइन नंबर है – 1800-180-5522. आप इस पर शिकायत कर सकते हैं.

स्कूल में बनाएं कमेटी

साल 2015 में सीबीएसई ने नियम निकाला था कि स्कूलों में एंटी रैगिंग कमेटी होनी चाहिए. कमेटी में काउंसलर भी शामिल हों, ये जरूरी है. स्कूल के लिए जरूरी है कि वे हेल्दी एनवारयरमेंट बच्चों को दें.

शिकायत सच निकलने पर बच्चे को क्लास से निकाला जा सकता है, उसका रिजल्ट रोका जा सकता है, फाइन लग सकता है, रस्टिकेशन हो सकता है और कई बार तो स्कूल से ट्रांसफर भी किया जा सकता है. गंभीर मामलों में पुलिस का इंटरफेरेंस भी हो सकता है. 

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