रामचरितमानस टिप्पणी विवाद: स्वामी प्रसाद मौर्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दिया 10 दिन का वक्त

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Swami Prasad Maurya Ramcharitmanas Remarks Case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (23 फरवरी) को स्वामी प्रसाद मौर्य की उस याचिका पर जवाब देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को 10 दिन का समय दिया जिसमें उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता मौर्य की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने ‘रामचरितमानस’ के बारे में अपनी टिप्प्णी को लेकर जारी कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया था. 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने बनाई नई राजनीतिक पार्टी 

स्वामी प्रसाद मौर्य पर ‘रामचरितमानस’ के बारे में ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी करने का आरोप है. कार्यवाही राज्य की प्रतापगढ़ अदालत में लंबित है. सपा छोड़ने के बाद मौर्य ने गुरुवार (22 फरवरी) को अपनी नयी राजनीतिक पार्टी ‘राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी’ (आरएसएसपी) का गठन किया है. 

शीर्ष अदालत लगा चुकी है आपराधिक कार्यवाही पर रोक 

जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने राज्य सरकार के वकील की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने पर सुनवाई स्थगित कर दी. शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को मामले में मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष अपनी याचिका में मौर्य ने अपने खिलाफ दायर आरोपपत्र के साथ-साथ निचली अदालत की ओर से जारी समन को भी चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2023 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. 

मामले में निचली अदालत भी मौर्य को जारी कर चुकी समन

संतोष कुमार मिश्रा नामक व्यक्ति की शिकायत पर पिछले साल मौर्य और अन्य के खिलाफ प्रतापगढ़ जिले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पुलिस की ओर से मौर्य और अन्य के खिलाफ निचली अदालत में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद अदालत ने उन्हें समन जारी किया था. मौर्य ने दावा किया है कि उनके खिलाफ इस आरोप की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने हिंदू धार्मिक ग्रंथ की निंदा की है. 

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