[ad_1]
India Inflation Data: वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक डिविजन ने फरवरी 2024 के मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा है कि खुदरा महंगाई लगातार छह महीने से भारतीय रिजर्व बैंक के टोलरेंस बैंड के भीतर बना हुआ है. फरवरी महीने में खुदरा महंगाई दर 5.1 फीसदी रही है. रिव्यू के मुताबिक कीमतों में लगातार आ रही कमी के चलते कोर इंफ्लेशन में भी कमी देखने को मिली है. पर वित्त मंत्रालय ने लाल सागर क्राइसिस को भारत में महंगाई में कमी और ग्रोथ के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया है.
टोलरेंस बैंड के भीतर है महंगाई
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के इकोनॉमिक डिविजन ने मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा कि खुदरा महंगाई दर आरबीआई के 2 से 6 फीसदी के टोलरेंस बैंड में पिछले छह महीने से बना हुआ है. रिव्यू के मुताबिक गैर-खाद्य और गैर-फ्यूल यानि कोर इंफ्लेशन में कमी आई है जिससे महंगाई में कमी देखने को मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से फरवरी महीने के दौरान महंगाई दर औसतन 5.4 फीसदी रही है जो इसके पहले वित्त वर्ष के समान अवधि में रहे 6.8 फीसदी से कम है. वित्त मंत्रालय के इस रिपोर्ट के मुताबिक कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उठापटक के बावजूद जुलाई और अगस्त 2023 को छोड़कर महंगाई दर 6 फीसदी से कमी बनी रही है.
Ministry of Finance @FinMinIndia releases Monthly Economic Review #MER for February 2024.
For full report ➡️ https://t.co/NGyk71pTBi
Key highlights 👇 pic.twitter.com/2qW0Dhp5qo
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) March 22, 2024
खाद्य उत्पादन बढ़ने का अनुमान
वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2023-24 के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक गेहूं प्रोडक्शन में 1.3 फीसदी, खरीफ चावल के उत्पादन में 0.9 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है. अरहर दाल के प्रोडेक्शन में भी पिछले साल के मुताबले 0.9 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. इसके चलते खाद्य महंगाई में कमी आने की उम्मीद है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक आने वाले महीनों में महंगाई को लेकर आउटलुक पॉजिटिव रहने वाला है.
लाल सागर क्राइसिस से महंगाई बढ़ने का खतरा
वित्त मंत्रालय के रिपोर्ट के मुताबिक लाल सागर क्राइसिस का असर वैश्विक खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत का यूरोप के साथ 80 फीसदी मर्केंडाइज ट्रेड लाल सागर से होकर जाता है जिसमें कच्चा तेल, ऑटो एंसिलियरी, केमिकल्स, टेक्सटाइल्स, ऑयरल स्टील शामिल है जिसपर असर देखने को मिला है. महंगे फ्रेट कॉस्ट, इंश्योरेंस प्रीमियम की बढ़ी लागत, लंबी ट्रांजिट लाइंस के चलते आयातित सामान महंगा हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड व्यवधान के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के जोखिम के चलते महंगाई बढ़ने का डर बना हुआ है जिससे ग्रोथ प्रभावित हो सकता है.
ये भी पढ़ें
[ad_2]
Source link