भारत की इकोनॉमी 6.7 फीसदी की रफ्तार से भागेगी, 2031 तक रुकने की कोई आशंका नहीं

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Indian Economy: क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) ने भारत की इकोनॉमी पर पूरा भरोसा जताया है. क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2024 से लेकर 2031 तक भारत की जीडीपी 6.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ती रहेगी. क्रिसिल ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति आने वाले सालों में संतुलित रहेगी. सरकार से मिल रहे पूंजी समर्थन से इकोनॉमी गति पकड़े रहेगी. 

अगले वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी रहेगी जीडीपी 

क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय जीडीपी की विकास दर 6.4 फीसदी रह सकती है. क्रिसिल के इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, भारत की जीडीपी स्थिरता से विकास की ओर अग्रसर है. इस पर 2031 तक कोई बुरा असर पड़ने की फिलहाल आशंका नहीं है. यह अनुमान कोविड-19 से पहले की 6.6 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर से भी आगे निकलने वाला है. 

सरकार के प्रयासों से बढ़ रही जीडीपी 

क्रिसिल के अनुसार, सरकार की आर्थिक नीतियों से जीडीपी की तरक्की सुनिश्चित हो रही है. साथ ही इसमें प्राइवेट सेक्टर का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा दिया है. साथ ही राज्यों को भी ब्याज रहित लोन देकर निवेश के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्षों का बुरा असर 

चालू वित्त वर्ष में 7.3 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद क्रिसिल ने अगले वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. मिडिल ईस्ट में चल रहे संघर्षों से एनर्जी और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट पर बुरा असर पड़ने की पूरी आशंका है. इन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इससे एनर्जी सेक्टर पर बुरा असर पड़ने की आशंका है. इसके अलावा शिपिंग कॉस्ट में इजाफा होने से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट महंगा हो सकता है. इसका बुरा असर इकोनॉमी पर पड़ेगा.

महंगाई दर पर दिया जाए ध्यान 

दिसंबर, 2023 में भारत में महंगाई दर 5.7 फीसदी रही. देश में सब्जियों और खाद्यान्न के दाम तेजी से बढ़े हैं. फूड आइटम में आ रही यह महंगाई ध्यान देने योग्य चीज है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने महंगाई दर 4 फीसदी रखने का लक्ष्य तय किया है. मगर, फूड आइटम की कीमतों पर अगर कंट्रोल नहीं किया गया तो यह लक्ष्य हासिल करना बहुत मुश्किल हो सकता है. हालांकि, क्रिसिल ने उम्मीद जताई कि इन चुनौतियों के बावजूद महंगाई और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आ सकती है. मगर, यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बदलाव का असर दिखाई पड़ सकता है. 

1987 में बनाई गई थी क्रिसिल 

क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया (CRISIL) सेबी (SEBI) में रजिस्टर्ड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है. यह भारत की पहली रेटिंग एजेंसी है. इसे 1987 में बनाया गया था. 

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